कैसे कह दूँ प्यार नहीं था

15-07-2024

कैसे कह दूँ प्यार नहीं था

महेश रौतेला (अंक: 257, जुलाई द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

कैसे कह दूँ प्यार नहीं था
जीवन में संसार नहीं था, 
ऊँचे शिखर पर अंधकार नहीं था
नदी किनारे मिलाप नहीं था। 
 
कैसे कह दूँ स्नेह नहीं था
क़दम-क़दम पर आनन्द नहीं था, 
जगने में आह्वान नहीं था
घर पर कोई मित्र नहीं था। 
 
कैसे कह दूँ स्कूल नहीं था
झोले में ज्ञान नहीं था, 
पढ़ने में मन नहीं था
मृत्यु में प्राण नहीं था। 
 
सबके ऊपर हाथ बड़ा था
आशीषों का गाँव बसा था, 
प्यार कभी सहज नहीं था
प्रयासों में खोट नहीं था। 
 
कैसे कह दूँ मौन नहीं था
जिह्वा पर नाम नहीं था, 
कानों में गीत नहीं था
आँखों में संसार नहीं था। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
यात्रा-संस्मरण
कहानी
ललित निबन्ध
स्मृति लेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में