देव मुझमें रहते हैं

01-02-2024

देव मुझमें रहते हैं

महेश रौतेला (अंक: 246, फरवरी प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

देव मुझमें रहते हैं
दानव भी झाँका करते हैं, 
शुभ भी आता है ऐसे
सिंह अपनी चाल चले जैसे। 
 
माना कि अन्त यहीं पर है
ईश्वर का अंश यहीं पर है, 
जो गतिमान हमारे अन्दर है
वह रहता सदा निरन्तर है। 
 
कहकर कथा सुनानी है
जीवन में ज्योति जलानी है, 
माना अंधकार सताता है
लेकिन पथ उससे आगे जाता है। 
 
जो मुझमें सतत रहता है
वह लोक सुन्दर होता है, 
जहाँ देव आनन्द लेते हैं
दानव भी झाँका करते हैं। 

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