अहमदाबाद विमान दुर्घटना

15-06-2025

अहमदाबाद विमान दुर्घटना

महेश रौतेला (अंक: 279, जून द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

क्षणभर जीना
क्षण में मरना,
गंतव्य चुना था
भवितव्य विकट था।
लोक यहीं है
परलोक निकट है,
क्षण की महिमा
क्षण में संकट।
सुख भी छूटा
दुख भी छूटा,
क्षण का उदभव
क्षण में टूटा।
किसको पूजा
किसको छोड़ा,
गंतव्य चुना है
मंतव्य अटल है।
क्षणभर जीना
क्षण में मरना,
दुर्घटना का संदेश क्रूर है।

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