बहुत थका तो नहीं हूँ

01-05-2022

बहुत थका तो नहीं हूँ

महेश रौतेला (अंक: 204, मई प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

बहुत थका तो नहीं हूँ
प्यार के लिए उपयोगी हूँ, 
सत्य के लिए चल सकता हूँ
सौन्दर्य को पी सकता हूँ। 
 
बहुत निराश तो नहीं हूँ
आशा बाँधे हुए हूँ, 
बंजर भूमि को
उपजाऊ बनाये हुए हूँ। 
 
बहुत उद्विग्न तो नहीं हूँ
प्रकाश को देख सकता हूँ, 
मन में मिठास घोल
इधर-उधर बाँट सकता हूँ। 
 
बहुत दुखी तो नहीं हूँ
सुख की आकांक्षा से भरा हूँ, 
आस्था के मन्दिर से निकल
संवेदनाओं को छान रहा हूँ। 

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