थोड़ा सा प्यार हमने किया

15-02-2022

थोड़ा सा प्यार हमने किया

महेश रौतेला (अंक: 199, फरवरी द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

थोड़ा सा प्यार हमने किया
पहाड़ चढ़ते समय, 
थोड़ा सा प्यार हमने किया
पहाड़ उतरते समय
तुमने देखा या नहीं, पता नहीं। 
 
थोड़ा सा प्यार मेरे हिस्से आया
कुछ हाथ तुमने बढ़ाया, 
कुछ हाथ मैंने बढ़ाया
जो किसी को पता नहीं चला। 
 
प्यार की यात्रा
तीर्थयात्रा की तरह पवित्र थी, 
कुछ क्षण तुमने जिये
कुछ क्षण मैंने जिये, 
तुम्हें पता था या नहीं, पता नहीं। 
 
कुछ दिन हम साथ-साथ चले
फूलों को साथ-साथ देखे, 
प्यार को घुलने-मिलने दिये
जिसने देखा, गद्‌गद्‌ हो गया। 
 
आकाश से जब निकले
पक्षियों की तरह बैठ गये 
किसी आहते पर चुपचाप, 
घंटों के मौन को साथ-साथ
कुछ तुमने खींचा, कुछ मैंने खींचा। 
 
यों मन का मिलना
कभी-कभी होता है, 
आँखों में घुलना-मिलना
ईश्वरीय ईहा से निकलता है। 

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