सत्यार्थः

01-01-2022

सत्यार्थः

महेश रौतेला (अंक: 196, जनवरी प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

अनन्त लोक के लिए
अनन्त राह चाहिए,
सजीव इस दृष्टि में
असंख्य प्रभात चाहिएँ।
 
सत्य के रक्षार्थ भी
विपुल शौर्य चाहिए,
अखण्ड ब्रह्माण्ड के लिए
योग शक्ति चाहिए।
 
मनुष्य के प्रयास में
ब्रह्म शक्ति व्याप्त है,
निजत्व में आस्था ही
महानिर्माण का साक्ष्य है।
 
जहाँ स्नेह स्पर्श है
वहाँ राधा, अर्जुन बने हैं,
विधि के विधान में
असंख्य दीप जले हैं।

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