तुम तो मेरे घर हो कान्हा

15-08-2024

तुम तो मेरे घर हो कान्हा

महेश रौतेला (अंक: 259, अगस्त द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 
तुम तो मेरे घर हो कान्हा
तुम तो मेरे मन हो कान्हा, 
इस आगे-पीछे की दुनिया में
तुम ही प्रिय सखा हो कान्हा। 
 
मेरी लम्बी दौड़ हो कान्हा
सुख-दुख के नाम हो कान्हा, 
इस धरा की सुगंध में अटके
कर्म के दाता हो कान्हा। 
 
कुछ अमर है कहते हो कान्हा
मेरे स्वर में रहते हो कान्हा, 
इस अनन्त की रचना करते
सखा सुदामा रखते हो कान्हा। 
 
तुम राधा का प्यार हो कान्हा
विजय की सर्वत्र गाथा हो कान्हा, 
सर्वज्ञ, सच्चिदानंद रहते-मिलते
पल-पल सारथी दिखते हो कान्हा। 
 
मेरी दृष्टि में ज्ञान हो कान्हा
सृष्टि के भगवान हो कान्हा, 
हर रिश्ते में मिले हुए
व्यापक मौन हो कान्हा। 

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