लेकिन सन्तोष है

15-08-2025

लेकिन सन्तोष है

महेश रौतेला (अंक: 282, अगस्त प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

बहुत निराशा है मन में
कि इतना भ्रष्टाचार है
पैसे का लेन-देन है, 
लेकिन सन्तोष है
कि अच्छाई भी है। 
 
बहुत निराशा है मन में
कि नदियाँ गदली हो चुकी हैं
दूषित बहुत नाले हैं, 
पर सन्तोष है
कि कुछ शुद्धता बनी हुई है। 
 
मन बहुत उदास है
कि कुछ पक्षी विलुप्त हो गए हैं
कुछ जंगल कट चुके हैं
पर सन्तोष है
कि अभी भी आशा जीवित है। 
 
बहुत उद्विग्न हूँ
कि युद्ध लड़े जा रहे हैं, 
ग़लत इधर भी है
ग़लत उधर भी है, 
लेकिन सन्तोष है
कि अच्छाई अभी भी है। 
 
उधर इतनी घूस है
इधर उतनी घूस है, 
कहीं झूठे नोटिस हैं
कहीं झूठी जाँच है, 
लेकिन अच्छी बात है
कि अभी भी सच पर विश्वास है। 

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