उठो रात अब जागो तो

15-02-2024

उठो रात अब जागो तो

महेश रौतेला (अंक: 247, फरवरी द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

शृंग-शृंग पर शंकर हैं
प्रभात विश्व के होते हैं, 
उठो रात अब जागो तो
यहाँ शंकर हमारे रहते हैं। 
 
मनुष्य मनुष्य की गणना है
राक्षस कौन गिनता है, 
उठो रात अब जागो तो
शुद्ध जीवन यहाँ आता है। 
 
प्राण हमारे जागे हैं
मनुज दिन-रात चलता है, 
उठो रात अब जागो तो
सौष्ठव दिन का आता है। 
 
भूप यहीं पर बनते हैं
रण आकार नया लेता है, 
उठो रात अब जागो तो
मुझे प्यार तक बहना है। 

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