सुबह सबेरे आये थे तुम

15-08-2022

सुबह सबेरे आये थे तुम

महेश रौतेला (अंक: 211, अगस्त द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

सुबह सबेरे आये थे तुम
नया सबेरा लाये थे तुम
बहुत नहीं तो कम ही अच्छा
विविध रूप में आये थे तुम। 
 
कितना किसको देते थे तुम
कितना किससे लेते थे तुम, 
समय अपनी गति को थामे
बड़ी ख़ुशी में लगते थे तुम। 
 
स्नेह पुष्प बने हुए तुम
सबके साथ मिले हुए तुम, 
अनवरत यहाँ चलना अच्छा
मन ही मन में लिखे हुए तुम। 
 
हमसे आगे चले चले तुम
हर विश्वास में मिले हुए तुम, 
बड़ी कथा को कहना अच्छा
जग की आशा बने हुए तुम। 
 
सबके आगे खड़े मिले तुम
सबको आशीष दिये हुए तुम, 
प्यार में जीना है अति अच्छा
सबका जीवन लिखे हुए तुम। 

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