मैं भूल गया हूँ पथ के कंकड़

15-05-2023

मैं भूल गया हूँ पथ के कंकड़

महेश रौतेला (अंक: 229, मई द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

मैं भूल गया हूँ पथ के कंकड़
केवल चलना याद रहा, 
किसी समय का स्नेह सुमन
मुझको पल-पल याद रहा। 
 
तेरे आने की चाह रही
तेरा सपना पास रहा, 
सारे काँटे विस्मृत हुए
तेरे बोलों पर ध्यान रहा। 
 
दिखा नहीं वह आते-जाते
मेरे अन्दर घूमा है, 
सबकी पीड़ा से अवगत है
अनेक रूप बन चूमा है। 
 
युद्ध का बिगुल बजता है
ये दयाभाव धीरे आता है, 
मनुष्य पर संकट बना हुआ है
उससे आगे वह रहता है। 

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