आपने कभी  सपना देखा क्या?

01-10-2021

आपने कभी  सपना देखा क्या?

महेश रौतेला (अंक: 190, अक्टूबर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

आपने कभी  सपना देखा क्या
जिसमें मैं हूँ, तुम हो 
और देश हो, जनता हो,
जीवन बोध हो
"सर्वे सुखिनः सन्तु" की अवधारणा हो?
 
अनुभूतियाँ मधुरता लिए
हर नदी, हर झील, हर पहाड़ से निकल
धरती और आकाश को जोड़
हमारी आँखों में झिलमिलाएँ?
 
तुमने कभी  सपना देखा क्या
झूमती अन्न की बालियों  का 
विद्यालय जाते बच्चों का
झोले में किताबों का
किताबों में अ, आ, क, ख का?
 
आपने सपने देखे होंगे
बड़े-बड़े, आसमान से ऊँचे
जहाँ चींटियाँ नहीं
हवाई जहाज़ उड़ते हैं,
जहाँ पगडण्डियों पर नहीं
राजपथ पर चला जाता है,
जहाँ वृक्ष नहीं
वृक्षों की हड्डियाँ बिछी होती हैं।
 
सपने देखने में कुछ ग़लत नहीं
यहाँ कोई राजा हरिचंद्र तो नहीं
न कोई विश्वामित्र है,
पर साफ़ आकाश तो चाहिए
जहाँ सपने टिमटिमा सकें।

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