प्यार – 02

01-10-2025

प्यार – 02

महेश रौतेला (अंक: 285, अक्टूबर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

प्यार होने में बहुत समय नहीं लगता
वह प्राण की तरह आता
प्राण की तरह जाता, 
जन्म की तरह प्रकट हो
एक उल्लास भर देता है। 
वह पलभर में
क्षणभर में, 
पेड़ की तरह खड़ा हो जाता है। 
रक्त में बह
साँसों में आ-जा, 
प्रकाश की गति से
अपना ब्रह्मांड बना लेता है। 
वह पलभर में
क्षणभर में, 
शान्त नदी सा बहता
अनन्त से मिल लेता है। 
सुर से सुर मिला
स्वरों को समेटता, 
दुनिया को थपथपाता
निराकार हो जाता है। 
जब चले थे
अंगुलियों पर था, 
जब लौटेंगे 
आँसुओं पर होगा, 
जीवनभर का रिश्ता
मौन में फँसा होगा। 

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