ये पहाड़ मुझे घेर न लें

15-10-2022

ये पहाड़ मुझे घेर न लें

महेश रौतेला (अंक: 215, अक्टूबर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

ये पहाड़ मुझे घेर न लें
ये नदियाँ मुझे बहा न लें, 
ये पवन मुझे उड़ा न ले
मुझे तो स्वतंत्र रहना है
आदि से अन्त तक। 
 
ये यादें मुझे बाँध न लें
ये रिश्ते मुझे टाँक न लें, 
ये भाव मुझे रोक न ले
मुझे तो स्वतंत्र रहना है
आदि से अन्त तक। 
 
ये बसंत मुझे पकड़ न ले
ये दृष्टि मुझे जकड़ न ले, 
ये उम्र मुझे पलट न दे
मुझे तो स्वतंत्र रहना है
आदि से अन्त तक। 
 
ये सत्ता मुझे लुभा न ले
ये जड़ता मुझे पंगु न कर दे, 
ये क्षितिज मुझे घेर न ले
मुझे तो स्वतंत्र रहना है
आदि से अन्त तक। 

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