दुख तो बहुत पास खड़ा है

01-07-2022

दुख तो बहुत पास खड़ा है

महेश रौतेला (अंक: 208, जुलाई प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

दुख तो बहुत पास खड़ा है
सुख की दूरी बहुत बड़ी है, 
पंचतत्व के इस शरीर में
विकट बाधाओं का चक्रव्यूह है। 
 
जो ईश्वर के निकट खड़ा है
वह भी भ्रम से अटा पड़ा है, 
बीता स्वर महाभारत का
ऊँचा है पर अपूर्ण रहा है। 
 
सबकी अपनी करनी है
हर विचार पर रहना है, 
आँखों देखे महाभारत ने
प्रिय पृथ्वी संग रहना है। 
 
आगे केशव पीछे अर्जुन
महाभारत तो होना है, 
धरा स्वप्न सी चलती है
मनुज चक्रव्यूह में भूखा है। 

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