जब तनाव आता है

01-11-2021

जब तनाव आता है

महेश रौतेला (अंक: 192, नवम्बर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

जब तनाव आता है
प्यार के कुछ कंकड़ ले
मन में उछाल देता हूँ,
तुम्हें पेड़ के नीचे खड़ा कर
कुछ फूल चुनने लगता हूँ।
 
या फिर वर्षा में तरबतर हो
तुम्हें छाते के अन्दर ले आता हूँ,
दो-चार क़दम चलते-चलते
भारी तनाव मिटा लेता हूँ,
स्मृति में ले आता हूँ कुछ ऐसा
जो गुदगुदा देता है सारे सुख- दुख।
 
बिछा देता हूँ अपनी इच्छा को
जाने पहचाने पलों की, जानी पहिचानी आँखों में,
अब उतावला नहीं होता हूँ
किसी भेंट के लिए,
बस, दो-चार क्षण चुरा लेता हूँ।
 
प्यार की आदि शक्ति को मनन करने,
बार-बार देखता हूँ पीछे
आशा से नहीं, वीतराग योगी सा,
कोई नहीं वहाँ, लेकिन बहुत कुछ है जो मिटा नहीं अब तक
नापता है मुझे क्षण-क्षण श्रीकृष्ण–राधा सा प्यार,
मुट्ठी में उसी प्यार के कुछ कण ले 
बन्द किये हूँ मुट्ठी।

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