मैं समय की धार रहूँ

01-08-2023

मैं समय की धार रहूँ

महेश रौतेला (अंक: 234, अगस्त प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

इस दौड़ का अन्त नहीं
इस पार रहूँ 
या उस पार चलूँ। 
तेरे अन्दर जाता हूँ
जाकर मैं खो जाता हूँ, 
इस पार नहीं
उस पार नहीं
मैं तो समय की धार रहूँ। 
कुछ गिनकर रह जाता हूँ
कुछ अनगिनत पा जाता हूँ, 
इस पार वही
या उस पार वही, 
मैं दिवंगत नहीं हो पाता हूँ। 

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