इतने शब्दों, इतने स्वरों के बाद

15-09-2025

इतने शब्दों, इतने स्वरों के बाद

महेश रौतेला (अंक: 284, सितम्बर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

इतने शब्दों, इतने स्वरों के बाद
मौन ले जाने आया, 
इतनी लड़ाइयों, इतनी झड़पों के बाद
शान्ति ले जाने आयी, 
इतने प्यार, इतने स्नेह के बाद
चुप्पी पकड़ने आयी। 
इतने श्रम, इतने पसीने के बाद
गहरी नींद सुलाने आयी, 
इतनी यात्राओं, इतनी बाधाओं के बाद
चुपचाप मौन देखने आया, 
इतने जन्मों, इतने कोलाहल के बाद
सन्नाटा बुलाने आया। 

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