चल रे जीवन विविध रूप में

01-11-2022

चल रे जीवन विविध रूप में

महेश रौतेला (अंक: 216, नवम्बर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

चल रे जीवन विविध रूप में
विविध खण्ड में, विविध भूमि में, 
परिवर्तन को सहज थाम तू
उतार-चढ़ाव को सहज मान तू। 
 
किसी कथा का आरम्भ भला 
किसी कथा का अन्त भला, 
विविध रंग के पुष्पों सा
खिल कर कुछ क्षण दे जा तू। 
 
तेरे अन्दर अमन चैन है
सुख-दुख का संसार बड़ा है, 
टूटी राह का जोड़ जुड़ा है
हँसने का मध्यान सटा है। 
 
काल की लगाम थाम तू
हार-जीत के रस में तू, 
देखूँ तुझको सम्पूर्ण रूप में
कह दूँ भ्रम अनेक रूप में। 

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