यूँ आप नेक-नीयत

13-04-2013

यूँ आप नेक-नीयत

सुशील यादव

२२१  २१२१  १२२१  २१२

यूँ आप नेक-नीयत, सुलतान हो गए
सारे हर्फ़ किताब के, आसान हो गए

समझे नहीं जिसे हम, गुमनाम लोग वो
हक़ छीन के हमीं से , परेशान हो गए

कुनबा नहीं सिखा सकता बैर-दुश्मनी
नाहक़ ही लोग, हिंदु-मुसलमान हो गए

सहमे हुए जिसे, समझा करते बारहा
बेशर्म-लोग जाहिल - बदज़ुबान हो गए

एक हूक सी उठी रहती, सीने में हरदम
बाज़ार में पटक दिए, सामान हो गए

एक पुल मिला देता हमको, आप टूटकर
रिश्तों की ओट आप, दरमियान हो गए

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