कामयाबी के नशे में चूर हैं साहेब

15-06-2024

कामयाबी के नशे में चूर हैं साहेब

सुशील यादव (अंक: 255, जून द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

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कामयाबी के नशे में चूर हैं साहेब
इसलिए तो हम पहुँच से दूर हैं साहेब
 
इस जमाने क़ो वफ़ा की क्या ज़रूरत बोल
हम शराफ़त से जहाँ भरपूर हैं साहेब
 
जिसने छीना ख़्वाब आज़ादी का तुमसे आज
वो सितमगर तो हमीं मग़रूर हैं साहेब
 
तुमको नाफ़रमानी की क्या दूँ सज़ायें और
सोच की खाई फँसे मज़दूर है साहेब
 
ख़ैरियत भी पूछता है अब यहाँ पे कौन
राहतें अब काग़ज़ी मंज़ूर हैं साहेब

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