आता है कौन-कौन अंदाज़ा भी रख

15-07-2025

आता है कौन-कौन अंदाज़ा भी रख

सुशील यादव (अंक: 281, जुलाई द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

बहर: हज़ज मुसम्मन अख़्र्म उश्तुर मकफ़ूफ़ मजबूब
अरकान: मफ़ऊलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलु फ़अल
 
तक़्तीअ: 222    212    1221    12
 
आता है कौन-कौन अंदाज़ा भी रख
घर में तू एक चोर दरवाज़ा भी रख
 
छोड़ा बदनाम करके जो मुझको यहाँ
मेरे नुक़्सान कोई ख़म्याज़ा भी रख
 
मैं जाने मन रखूँ तसल्ली भी कहाँ
नाता मुझसे क़रीबतर वाला भी रख
 
मैं चल के आ गया हूँ अब शहर तेरे
तेरा बस गर चले मुझे प्यासा भी रख
 
अब की बारिश उफान पर है ये नदी
पुल को ख़तरा है ध्यान कुछ ज़्यादा भी रख

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