शहर में बुलडोज़रों की ख़ूबियाँ महफ़ूज़ है

15-12-2025

शहर में बुलडोज़रों की ख़ूबियाँ महफ़ूज़ है

सुशील यादव (अंक: 290, दिसंबर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाइलुन
2122    2122    2122    212
 
शहर में बुलडोज़रों की ख़ूबियाँ महफ़ूज़ है
पर इनायत तेरे होते बस्तियाँ महफ़ूज़ है
 
बस शिकारी की तरह निकले हुए थे राह में
भेड़-बकरे जानवर सब बिल्लियाँ महफ़ूज़ हैं
 
हद जुगाली की हुई है आज सरकारी अमल
डस्ट बीनो में डली कुछ अर्ज़ियाँ महफ़ूज़ हैं
 
सीख लेते बेवफ़ाई का हुनर थोड़ा बहुत
बस वफ़ा के नाम पे रुसवाइयाँ महफ़ूज़ हैं
 
हम चले थे जंग आज़ादी की शाही जीतने
क्या पता था आदतों में झिड़कियाँ महफ़ूज़ हैं

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