तेरे बग़ैर अब कहीं

31-07-2023

तेरे बग़ैर अब कहीं

सुशील यादव (अंक: 234, अगस्त प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

2212    1212    2212    1222

 

तेरे बग़ैर अब कहीं, 
दर्दे निहां नहीं रखते 
ख़ुशियों में ख़ास हम, 
कभी दिलचस्पियाँ नहीं रखते 
 
तू आसमां उठा कहीं, 
तू याद कर हमें जी भर 
भरते न आह बारहा 
मन हिचकियाँ नहीं रखते 
 
हम कायनात में मिलें 
वादा ये भी निभा लेंगे 
ख़ाली तमाम बोतलों की 
गिनतियाँ नहीं रखते
 
जलना चिराग़ को ज़माने में, 
है बेमिसाल सही
क्यों आज भी दिया तले, 
रोशनियाँ नहीं रखते
 
वादा करके तुम्हें बहुत, 
आता है भूलना साथी 
तेरे हरेक वादों की हम, 
गिनतियाँ नहीं रखते
 
तुमसे बिछड़ने का बताएँ, 
दर्द है हमें कितना 
मालूम कोई मसखरी हम, 
कहानियाँ नहीं रखते

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