बुनियाद में

01-09-2022

बुनियाद में

सुशील यादव (अंक: 212, सितम्बर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

2212     2212    2212     222
 

ये कौन है जो ना समझ को भी सिखा देता है
बुनियाद में छिप कर कहीं ताक़ती बना देता है
 
सुकरात की मानिन्द राज़ी था ज़हर पीने को
लड़ने की क्षमता कौन ख़ामख़ाँ जगा देता है
 
ख़ामोश रहना चाहता है आदमी जलसे में
बे सबब कोई हाथ में परचम थमा देता है
 
चिपका रहा वो इश्तिहार उसी गली दीवारों
मजबूरियाँ धड़कन जहाँ मिट्टी मिला देता है
 
हाँ आजकल क्या हो रहा अक़्सर समझ बाहर
साज़िश तहत इल्ज़ाम भी कोई लगा देता है

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