वही बस्ती,  वही टूटा  खिलौना है

15-04-2024

वही बस्ती,  वही टूटा  खिलौना है

सुशील यादव (अंक: 251, अप्रैल द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

हज़ज मुसद्दस सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222    1222    1222
 
वही बस्ती,  वही टूटा  खिलौना है
वही अलगू, मिया जुम्मन का रोना है
 
बना जाते सलीक़े से मुझे लाइक़
यहाँ मिट्टी को ढूँढ़ो यार सोना है
 
सुना बनते यहाँ  रिश्ते तरीक़े से 
किसे मोती कभी आया पिरोना है
 
वफ़ा के बीज डालो ये पता तो हो
ख़फ़ा मौसम या  क़िस्मत आप बौना है
 
उसे पैग़ाम  दो,  है ख़ैरियत  मेरी
जिसे काँटे बदन मेरे  चुभोना है

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