ये इन्तज़ार की घड़ी, है आजकल उतार में

15-05-2025

ये इन्तज़ार की घड़ी, है आजकल उतार में

सुशील यादव (अंक: 277, मई द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

अरकान: मुसतफ़इलुन मुफ़ाइलुन मुसतफ़इलुन मुफ़ाइलुन
तक़्तीअ: 2212    1212    2212    1212
 
ये इन्तज़ार की घड़ी, है आजकल उतार में
साँसें तमाम हैं गिने, मेरे ख़ुदा क़रार में
 
क्या ज़िंदगी दे पाएगी, बख़्शीश में ख़़ुशी लहर
अब तो निगाह माँगती, कुछ एक पल बहार में
 
ये आदमी की साख अब, लो टूटने लगी यहाँ
भटका कहाँ है आदमी, लगते हुए क़तार में
 
उसको नसीब हैं नहीं, हर रोज़ की ज़रूरतें
पिसता रहा वो उम्र भर, मिट्टी मिले जुवार में
 
बारात सज नहीं सकी, डोली कहाँ उठी कभी
मैं देखता पिता वही, शामिल रहा कहार में

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