मत पुकारो मुझे यों याद ख़ुदा आ जाए

15-03-2025

मत पुकारो मुझे यों याद ख़ुदा आ जाए

सुशील यादव (अंक: 273, मार्च द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

बहर: रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़ मक़तू
अरकान: फ़ाएलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन
तक़्तीअ: 2122    1122    1122    22
 
मत पुकारो मुझें यों याद ख़ुदा आ जाए
भेज दो पुर्ज़ा मुझें ख़त ही लिखा आ जाए
 
आज़माते मुझे रहना क़िसी दिन ग़र्दिश में
काम तेरे कभी माँगी वो दुआ आ जाए
 
आज लगते वहाँ मेले जहाँ हम मिलते थे
यक-ब-यक सूने से रस्ते में क़िला आ जाए
 
मुन्तज़िर हूँ के तिरे मुँह से हाँ सुन लूँ मैं भी
इससे पहले कोई इंकार तेरा आ जाए

जिस हक़ीक़त से यहाँ रोज़ रहा है नाता
जान के बदले में अच्छी सी बला आ जाए

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