इंतज़ार कर

01-09-2023

इंतज़ार कर

सुशील यादव (अंक: 236, सितम्बर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

तू है अगर रूह तो नज़ाकत से पेश आ
जो मेरी परछाईं है तो चलने का इंतज़ार कर
 
तू मेरी सदा है तो अभी ख़ामोश रह 
पाँव की ज़ंजीर है तो खुलने का इंतज़ार कर
 
अक़्ल का अगर धागा है तो इतना ना उलझ
संयम का है गौहर तो पिरने का इंतज़ार कर 
 
आफ़ताब है मुस्तक़बिल का तो उरूज को न पिघला
है अगर माह तो शाम ढलने का इंतज़ार कर
 
तू है रोशनी तो हर स्याह अँधेरे से लड़
और है अँधेरा, दीप जलने का इंतज़ार कर 
 
मेरे हक़ में है बुलंदी, तो मुझे मयस्सर करा
या बोल, क़यामत गिरने का इंतज़ार कर

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