तुम्हारी हरकतों से कोई तो ख़फ़ा होगा
सुशील यादव
बहर: मुज्तस मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़ मस्कन
अरकान: मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
तक़्तीअ: 1212    1122    1212    22
 
तुम्हारी हरकतों से कोई तो ख़फ़ा होगा
अरे वो सब्र का दामन भी छोड़ता होगा
 
तेरे ख़याल में कोई तो रास्ता होगा
हमारी दूरियों को रोज़ पाटता होगा
 
मैं इम्तिहान ओ नतीजा भी जानता हूँ पर
वो कामयाब, मुझे अब न सोचता होगा
 
क्यूँ  बरक़रार यहाँ ख़ामुशी का आलम है
क्यूँ ज़िन्दगी मिटा के पीछा सा किया होगा
 
यहाँ तो शौक़ से पाला परिंदा पर कोई
परों को काट, उड़ाने भी रोकता होगा
 
किसी भी ख़ुशबू में पहचान लेता हूँ तुमको
तेरा वजूद कहीं छाप छोड़ता होगा
 
है बोझ जैसी हमारी ये ज़िन्दगी तुझ बिन
हमारा नाम न इन राहों पर लिखा होगा
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