मिलते नहीं जो अपने ख़यालात क्या  करें

15-07-2025

मिलते नहीं जो अपने ख़यालात क्या  करें

सुशील यादव (अंक: 281, जुलाई द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

बहर : मुज़ारे मुसम्मन अख़रब मकफ़ूफ़ महज़ूफ़
अरकान : मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
तक़्तीअ  : 221   2121   1221   212
 
मिलते नहीं जो अपने ख़यालात क्या  करें
संभावना पे फ़िक्र की लो बात क्या करें
 
मशहूर कर दिया हमे लोगों ने आजकल
हम तंग सी गली में मुलाक़ात क्या करें
 
वो रोज़ ही बना रहे होते बहाने अब
हम रख के दिल में अपने ही जज़्बात क्या करें
 
मतलब की उनसे हमने कहा थोड़ा सा कभी
हैरानियों भरी मिली सौगात क्या करें
 
पत्थर के देवता ने सभी को नहीं दिया
होठों ख़ुशी के झूमते नग़मात क्या करें
 
शब्दार्थ:  ख़यालात=ख़याल का बहुवचन; नग़मात=नग़्मा (गीत) का बहुवचन

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