अन-मने सूखे झाड़ से दिन

15-04-2024

अन-मने सूखे झाड़ से दिन

सुशील यादव (अंक: 251, अप्रैल द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

2122    1212    2
 
अन-मने सूखे झाड़ से दिन।
तुम सजा लो कबाड़ से दिन
 
है पुरानी क़मीज़ अपनी
सर्द काँपे है हाड़ से दिन
 
जाने कैसे तो काटेंगे हम
अब जुदा हो, पहाड़ से दिन
 
छाँव आती नहीं, ज़रा भी
हैं अजूबे, ये ताड़ से दिन
 
लूट ग़ज़नी की हो गई है
बस्ती भारी उजाड़ से दिन

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