अहसान मुझ पे तुमने दुबारा नहीं किया

01-09-2025

अहसान मुझ पे तुमने दुबारा नहीं किया

सुशील यादव (अंक: 283, सितम्बर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
221    2121    1221    212
 
अहसान मुझ पे तुमने दुबारा नहीं किया
कुछ और था परखना ग़वारा नहीं किया
 
हम ज़िन्दगी से माँगते रहते थे ज़िन्दगी
क्या माँगना था और इशारा नहीं किया
 
हमने मुहाफ़िजों की तरह ख़ूब इन दिनों
बस बन्दग़ी कहीं भी, ख़सारा नहीं किया
 
आता नहीं था हमको हक़ीक़त से खेलना
क़ातिल निगाह को लिए पीछा नहीं किया
 
लब थे सिले तमाम, थे राहों में पहरे भी
वो कारवां जहाँ था इज़ाफ़ा नहीं किया
 
बरबादियों का जश्न मनाना भी जानते
भूले से हमने ख़ून-ख़राबा नहीं किया
 
जो आसमान से भी उतारे हैं जिन्दगी
उसने मिरा लिहाज़ भरोसा नहीं किया

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