जब समझ मेरी इलाक़े की कहानी आए

15-12-2025

जब समझ मेरी इलाक़े की कहानी आए

सुशील यादव (अंक: 290, दिसंबर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

फ़ाएलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन
2122    1122    1122    22
  
जब समझ मेरी इलाक़े की कहानी आए
दास्तां भूली हुई कोई पुरानी आए
 
सरफिरे को कहाँ ढूढ़ा किए रहती हो तुम
याद तुमको कोई बचपन की निशानी आए
 
तुम हलक़ से कभी गिनती बुरे दिन की कर लो
दिन अगर ख़ास हैं तो याद ज़ुबानी आए
 
कोई रहमत का पिटारा नहीं खोला करता
राह में कल भी पहुंचे हुए दानी आए
 
सब्र की हर नदी बे-आब हुई है लेकिन
राह तकते हुए बैठे कभी पानी आए
 
कोई राज़ी कहाँ था साथ मेरे चलने को
झोक चूल्हे में अकेले ही जवानी आए
 
धरने बैठे हुए लोगो कभी तुमने सोचा
बादलो देख घड़ा फोड़ किसानी आए

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

ग़ज़ल
कविता-मुक्तक
सजल
नज़्म
कविता
गीत-नवगीत
दोहे
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
पुस्तक समीक्षा
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में

लेखक की पुस्तकें