साया हटा  है , फिर नया बरगद तलाशिये

01-09-2025

साया हटा  है , फिर नया बरगद तलाशिये

सुशील यादव (अंक: 283, सितम्बर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

मुज़ारे मुसम्मन अख़रब मकफ़ूफ़ महज़ूफ़
मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
 
221    2121    1221    212
 
साया हटा  है , फिर नया बरगद तलाशिये
मेरी ज़मीने ,  सर-कती सरहद तलाशिये
 
सुकरात था, चला गया, सारा ज़हर पी के
अब ख़ून-ख़ून पीने में, मक़सद तलाशिये
 
कारीगरी का देख लिया है नमूना भी
मन्दिर  या मस्जिदें ढके गुम्बद तलाशिये
 
जो पाँव, उठ नहीं सके तुमसे ज़मीन से
कलयुग अमन के कुछ नये, अंगद तलाशिये
 
लो देखना उतार के ऊँचा सा आदमी
फिर से समझ की नोक में वो पद तलाशिये
 
यूँ नेक थे उसूल कहीं  ख़र्च  हो गए
पाना उसे अभी है नया मद  तलाशिये
 
माना मिसाल के कहीं क़ाबिल था आदमी
बस एक बुत बराबरी में क़द तलाशिए

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