साथ मेरे हमसफ़र

23-11-2016

साथ मेरे हमसफ़र

सुशील यादव

२१२२ २१२२ २१२१ २२

साथ मेरे हमसफ़र वो साथिया नहीं है
लुत्फ़ मरने में नहीं, जीने का मज़ा नहीं है

रूठ कर चल दिए तमाम सपने-उम्मीद
इस जुदाई ज़िन्दगी का ज़ायका नहीं है

साथ रहता था बेचारा बेज़ुबान सा दिल
ठोकरें, ख़ामोश खा के भी गिना नहीं है

आ क़रीब से जान ले, ख़ुदगर्ज हैं नहीं हम
फूल से न रंज, कली हमसे खफ़ा नहीं है

शौक़ से लग जो गया, उनके गले तभी से
लाइलाज ए मरीज़ हूँ, मेरी दवा नहीं है

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