सुशील यादव–दो मुक्तक(महाचण्डिका छंद)

01-09-2025

सुशील यादव–दो मुक्तक(महाचण्डिका छंद)

सुशील यादव (अंक: 283, सितम्बर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

महाचण्डिका छंद 13-13 (212अंत में) 
 
1.
अंतस डाका डाल के, चलता दिखा बसंत ये। 
पत्ते यादों के झरे, जिसका आदि न अंत ये॥
सौ-सौ चूहे खा गया, माया में भरमा गया। 
मौसम बन के सामने, भगवा पहने संत ये॥
 
2.
अक्षर-अक्षर बस छोड़ता, व्यापक विष का बाण भी। 
लिख देते कुछ बात यूँ, व्याकुल होता प्राण भी॥
मन की सुन लेते कभी, विपदा आती ही नहीं। 
हो ऐसी भी लेखनी, जिसमें जग कल्याण भी॥

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