
संपादकीय - गधी लौट कर फिर बड़ के पेड़ के नीचे
साहित्य कुञ्ज के इस अंक में
कहानियाँ
अलका की सफलता
अलका अपने जीवन में व्यस्त थी फिर भी बहुत उलझी हुई थी। सब कुछ था उसके पास, लेकिन फिर भी उसको लगता था कि कुछ है, जो मेरे जीवन के अधूरेपन को व्यक्त करता है। विवाह से पहले जो आगे पढ़ें
चोर पर मोर
लोह पर मक्की की मोटी-मोटी रोटियाँ थापती वीरो के दिमाग़ में विचारों के अंधड़ चल रहे थे। नीचे से लोह को तपाता हुआ आग के बवंडर का सेंक उसके गालों को लाल करने की अपेक्षा कत्थई कर रहा था आगे पढ़ें
नियति का चक्र
कल्जीखाल की पहाड़ियों पर धूप पसर आई थी। जसमतिया धूप का आनन्द लेती रही। अक्टूबर शुरू हो गया था, इसलिए हवा में ठंडक बढ़ गई थी। जसमतिया को धूप में बैठना बड़ा अच्छा लग रहा था। मगर धूप में आगे पढ़ें
भारत माता पुकार रही है . . .!
राजेश्वर के पुराने मित्र हैं परमेश्वरी बाबू। अजीब, बड़े ही अजीब। बड़े हठी और धुन के पक्के। इलाहाबाद विश्वविद्यायल में अच्छे-ख़ासे प्रोफ़ेसर थे, पर सब कुछ छोड़-छाड़कर यहाँ-वहाँ भटकने लगे। एक ही धुन कि उनकी किताब जल्दी से पूरी आगे पढ़ें
हास्य/व्यंग्य
कभी आपको महसूस हुआ है डर का आतंकवाद?
जब भी मैं ‘आतंकवाद’ शब्द सुनता हूँ, भीतर तक काँप उठता हूँ। मुझे अपने साथ हुए ‘आतंकवादी’ हादसे याद आ जाते हैं। भले ही सेना के एक नायक ने कहा हो कि इसमें आश्चर्य नहीं कि तीन आतंकवादियों ने आगे पढ़ें
जातीय गणना में कुत्तों की एंट्री
अपन तो सरकार के नौकर हैं जी! सरकार जो भी कहती है, कान बंद किए सब सुनना पड़ता है। क्योंकि सरकार की खाते हैं, सरकार का पीते हैं। अपनों के प्रति वफ़ादार न रहने के बावजूद भी सरकार के आगे पढ़ें
मच्छर और राफेल की ज़रूरत
ग़ौर से हम देखें तो पाकिस्तान और मच्छर एक दूसरे के पर्यायवाची शब्द हैं। दोनों छुपकर ख़ून पीते हैं। आपको विश्वास नहीं हो रहा है। तो आप गर्मी, या बरसात में कहीं भी खुले में बैठकर, सोकर या लेटकर आगे पढ़ें
मोर बनाम मारखोर
पाकिस्तान की नेशनल असेम्बली में आजकल प्रस्ताव पेश करने की बाढ़ आयी है। जी, ये प्रस्ताव की बाढ़ है, असली बाढ़ नहीं—जब असली बाढ़ आती है कश्मीर में, तो वो इधर के कश्मीर को ग़ुलाम कश्मीर कहना बन्द कर आगे पढ़ें
आलेख
अवसाद, अकेलापन और असमर्थता–मन की आवाज़
“जो बाहर हँसता दिखता है, वह भीतर कितना टूटा है, यह कोई नहीं जानता।” 1. अवसाद–भीतर का टूटता आत्मबल कारण: निरंतर असफलताएँ या ज़िंदगी में निराशा बचपन में गहरा मानसिक आघात मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन अत्यधिक सामाजिक या पेशेवर आगे पढ़ें
उद्धव की वापसी–आधुनिक समय में चेतना की पुकार
1. प्रस्तावना: पुराण से वर्तमान तक भारतीय चिंतन परंपरा में पुराणों को केवल मिथक मानना एक भूल होगी। वे प्रतीक हैं—समय, चेतना, संस्कृति और आत्मा के गहरे संवाद के। ऐसे ही एक संवाद का वाहक है ‘उद्धव प्रसंग’—जहाँ ज्ञान, आगे पढ़ें
एक दिन सब कुछ ख़त्म हो जाएगा
रोज़ सुबह होती है, एक नई उम्मीद, सपने, एक नए जीव के जन्म के साथ और रोज़ कई सारे लोग अपनी आख़री साँस लेते हुए, परम तत्त्व में विलीन भी जाते हैं। यह संसार जितना प्रकाश की गति से आगे पढ़ें
तुम बदल गए हो: एक समग्र चिंतन
(व्यवहारों का विश्लेषण करता आलेख-सुशील शर्मा) “तुम बदल गए हो, अब पहले जैसे नहीं रहे।” यह वाक्य, विशेषकर अपनों के मुख से सुनना, एक गहरा मंथन उत्पन्न करता है। यह केवल एक टिप्पणी नहीं, बल्कि एक समीक्षा है हमारे आगे पढ़ें
धर्म, कर्म और शिक्षा—विवेकानन्द के सन्दर्भ में
शिक्षा मानव विकास के लिए आधारभूत आवश्यकता है। इस तथ्य पर सार्वकालिक सर्वसहमति रही है। शिक्षा के आधारभूत सिद्धांतों को लेकर विभिन्न समाजों में मतान्तर रहा है, अब भी है और शायद सदैव रहेगा। मानव विकास के मूलाधार जिज्ञासा, आगे पढ़ें
नैनीताल कल और आज (२०२५)
नैनीताल चर्चा में है लेकिन एक व्यक्ति के घृणित कृत्य के लिए। मैं नैनीताल को जानता हूँ शिक्षा के लिए, शिखरों के लिए, प्यार के लिए, शक्ति पीठ नैनादेवी के लिए। कहा जाता है सती की आँख यहाँ गिरी आगे पढ़ें
बुद्ध पूर्णिमा: शून्य और करुणा का संगम
बुद्ध पूर्णिमा, एक ऐसा पावन अवसर है, जो हमें न केवल भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण की स्मृति दिलाता है, बल्कि बौद्ध दर्शन के उन गहन आध्यात्मिक सत्यों से भी जोड़ता है, जो मानव अस्तित्व की आगे पढ़ें
ब्राह्मण: उत्पत्ति, व्याख्या, गुण, शाखाएँ और समकालीन प्रासंगिकता
(परशुराम अवतरण दिवस पर विशेष लेख) भारतीय संस्कृति का जब भी अध्ययन किया जाता है, ब्राह्मण समुदाय का नाम गौरव और ज्ञान के प्रतीक रूप में उभरकर सामने आता है। ब्राह्मण केवल एक जाति नहीं, बल्कि एक चेतना, आगे पढ़ें

भक्त कवि सूरदास: बालकृष्ण की भक्ति के पर्याय
सूरदास जयंती 2 मई 2025 पर विशेष सूरदास हिंदी साहित्य के भक्ति काव्य के प्रमुख स्तंभों में से एक हैं, जिन्हें बालकृष्ण की भक्ति का पर्याय माना जाता है। उनकी रचनाएँ, विशेष रूप से सूरसागर, भगवान श्रीकृष्ण के आगे पढ़ें
मज़दूर दिवस: श्रम, संघर्ष और सामाजिक न्याय का उत्सव
मज़दूर दिवस, जिसे अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस या मई दिवस के रूप में भी जाना जाता है, प्रतिवर्ष 1 मई को दुनिया भर में मनाया जाता है। यह दिन न केवल श्रमिकों और मज़दूर वर्ग के लोगों के सम्मान और आगे पढ़ें
स्वर नहीं, सुर मिलना चाहिए
“स्वर नहीं, सुर मिलना चाहिए“— यह कथन मात्र एक भाषाई संयोजन नहीं, बल्कि जीवन की अनेक परतों को छूने वाला गहन विचार है। आज हमारे गाडरवारा की पहचान प्रसिद्ध विचारक, साहित्यकार एवं बहुप्रशंसित अभिनेता आशुतोष राना; हमारे आशु भाई आगे पढ़ें
स्वातन्त्रोत्तर हिन्दी और तेलुगु काव्य में राष्ट्रीय चेतना: एक सिंहावलोकन
शोध सार साहित्य और समाज का गहरा सम्बन्ध होता है। साहित्य समय सापेक्ष होता है, युग की पहचान होता है। और समाज समय के साथ परिवर्तित होता रहता है। यह कहना समीचीन होगा कि समय के प्रति सजगता लेखक आगे पढ़ें
हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता और प्रतिरोध
जैसाकि विदित है हिंदी पत्रकारिता के इतिहास में भारतेंदु युग 1873 से 1900 तक चलता है। इस युग के एक छोर पर भारतेंदु की “हरिश्चंद्र मैगजीन” थी और दूसरी ओर नागरीप्रचारिणी सभा द्वारा अनुमोदनप्राप्त “सरस्वती।” उन्नीसवीं शताब्दी के इन आगे पढ़ें
हिंदी साहित्य की आँख में किरकिरी: स्वतंत्र स्त्रियाँ
हिंदी साहित्य जगत को असल स्वतंत्र चेता प्रबुद्ध स्त्रियाँ अभी भी हज़म नहीं होतीं। उन्हें वैसी ही स्त्री लेखिका चाहिए जैसा वह चाहते हैं। वह सॉफ़्ट मुद्दों पर लिखे, परिवार, समाज, कुछ मनोविज्ञान, स्त्री-पुरुष सम्बन्ध। आधुनिकता का या आधुनिक आगे पढ़ें
समीक्षा

अँधेरों के सफ़र में उजाले की किरन: ‘अँधेरों का सफ़र’
समीक्षित पुस्तक: अँधेरों का सफ़र (साझा हाइकु संकलन) संपादक: डॉ. सुरंगमा यादव प्रकाशक: अयन प्रकाशन,नई दिल्ली, प्रकाशन वर्ष: 2025 ISBN: 978-93-6423-788-8 मूल्य: ₹320/- पृष्ठ-112, भूमिका: रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ संपादकीय/आलेख: डॉ. सुरंगमा यादव डॉ. सुरंगमा यादव हाइकु के क्षेत्र में सुपरिचित आगे पढ़ें

मुखर अभिव्यक्ति का खुला आकाश
समीक्षित पुस्तक: खुला आकाश (काव्य संग्रह) लेखक: डॉ. बी.एस. त्यागी प्रकाशकः अयन प्रकाशक, जे-19/139, राजापुरी, उत्तम नगर, नई दिल्ली-110059 ISBN: 978.93.6423.367.5 प्रथम संस्करण: 2025 मूल्य: ₹380/- पृष्ठ संख्या: 136 डॉ. बी.एस. त्यागी को किसी पहचान की आवश्यकता नहीं है। वे आगे पढ़ें
संस्मरण
एक शोधार्थी का आत्मकथन
पीएच.डी. एक ऐसा काम है जिसकी शुरूआत आसान होती है पर उसे पूरा कर लेना युद्ध जीतने से कम आनंददायक नहीं है। इसे करना किसी के लिए आसान नहीं है। बहुत झंझटें है इसमें। झंझटें हैं या बना दी आगे पढ़ें
मेरी स्मृतियों का गाडरवारा
(स्मृतियों का रेखा चित्र-सुशील शर्मा) बिलकुल— यहाँ एक सशक्त, आकर्षक और भावनात्मक भूमिका है जो पाठक को रेखाचित्र से भावनात्मक रूप से जोड़ देती है: शहर बदलते हैं, नक़्शे खिंचते हैं, दीवारें ऊँची होती जाती हैं पर कुछ आगे पढ़ें
अन्य

मदर्स डे विशेष
आज मदर्स डे पर स्वर्गीय मम्मी को पत्र ज़रूर लिख रही, पर बैरंग लिफ़ाफ़ा जाएगा . . . मेंरी प्रिय मम्मी, मम्मी तो सबकी प्यारी ही होती है, पर मुझे तुम दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत, होशियार और प्यार आगे पढ़ें
कविताएँ
शायरी
समाचार
साहित्य जगत - विदेश

यॉर्क, यूके में भारतीय प्रवासी समुदाय का ऐतिहासिक काव्य समारोह
दिनांक: 26 अप्रैल 2025 स्थान: यॉर्क, यूनाइटेड किंगडम 26 अप्रैल 2025 को यॉर्क इंडियन कल्चरल एसोसिएशन के तत्वावधान में…
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हिन्दी राइटर्स गिल्ड कैनेडा द्वारा आयोजित ‘राम तुम्हारे अनंत..
हिन्दी राइटर्स गिल्ड कैनेडा द्वारा रामनवमी के पावन अवसर पर ‘राम तुम्हारे अनंत आयाम’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया।…
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24 वाँ अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन नेपाल
भाषा जितना विस्तारित, समृद्धि उतनी ही नेपाली और हिंदी की जननी एक ही संस्कृत हिंदी को मान्यता देने से…
आगे पढ़ेंसाहित्य जगत - भारत

एक शाम कवियों के नाम: युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच
युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (पंजीकृत न्यास) आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना राज्य शाखा की उन्नीसवीं काव्यगोष्ठी 13 अप्रैल 2025 (रविवार) 3:30…
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साठोत्तर काव्य आंदोलन में संघर्ष मूलक काव्य की प्रवृत्तियाँ—संगोष्ठी..
युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (पंजीकृत न्यास) आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना राज्य शाखा की वर्चुअल अट्ठारहवीं संगोष्ठी 26 जनवरी-2025 (रविवार) 4…
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ग्रहण काल एवं अन्य कविताएँ का विमोचन संपन्न
उद्वेलन एवं संवेदनाओं की कविताएँ: प्रो. बी.एल. आच्छा सरल शब्दों में गहन विषयों को व्यक्त करना आसान नहीं: गोविंदराजन…
आगे पढ़ेंसाहित्य जगत - भारत

केरल की पाठ्यपुस्तकों में त्रिलोक सिंह ठकुरेला की रचनाएँ सम्मिलित
साहित्यकार एवं रेलवे इंजीनियर ‘त्रिलोक सिंह ठकुरेला की रचनाएँ केरल राज्य की विभिन्न पाठ्यपुस्तकों में सम्मिलित की गयी हैं। …
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अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की रजत जयंती समारोह 2025
हमारी संस्कृति, परंपरा और पहचान का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है मातृभाषा: प्रो. पी. राधिका चेन्नई, 21 फरवरी, 2025। “मातृभाषा…
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‘क से कविता’ में अतिथि कवि डॉ. विनय कुमार से संवाद संपन्न
हैदराबाद, 24 जनवरी, 2025। मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, हैदराबाद के दूरस्थ शिक्षा केंद्र की लाइब्रेरी में ‘क से…
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