मातृभूमि की सुगंध

15-05-2025

मातृभूमि की सुगंध

प्रियांशी मिश्रा (अंक: 277, मई द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

भीगी-भीगी माटी में है मातृभूमि की सुगंध
शत्रु चाहे कोई भी हो हमारी आवाज़ है बुलंद
  
हम सब एक हों और शत्रु हों अनेक
फिर भी भारतवासी लड़ेंगे आज़ादी की जंग
  
जय माँ भारत रोर हो, जय माँ भारत शोर हो
रात हो कि भोर हो सब जगह सब ओर हो
  
चीन हो पाकिस्तान हो या कोई भी देश हो
फिर भी भारतवासी लड़ेगे आज़ादी की जंग
  
आज़ाद हिन्दुस्तान रहे ख़ूं नसों में चाहे न बहे
घर-घर में तिरंगा फहरे हर मन में तिरंगा लहरे
  
भीगी-भीगी माटी में है मातृभूमि की सुगंध
शत्रु चाहे कोई भी हो हमारी आवाज़ है बुलंद। 

1 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें