गुलमोहर के नीचे
डॉ. पल्लवी सिंह ‘अनुमेहा’
गुलमोहर के नीचे
एकाकी मौन मूर्ति
चिंता के भूकंप से कंपित
शांत बैठी
शून्य में ताकती
कुछ खोजती
निर्मला-सी
पत्थर की अनघड़1
हिममयूख2 . . .
समतल-सी किरच3
सिहर उठी
अँगूठी का जंगल
नग का फिसलन
जड़कर . . .
उघड़ रहा
व्यथा अँगूठी की
अनकही रही . . .
विरह का वैधव्य4-सा कोटर5
हँसता रहा
अनजान डगर
तकता रहा
फिर . . .
पुनः गुलमोहर के नीचे
कुछ बतियाकर झलता रहा
सम्बोधन का घाव
टीस . . .
अँगूठी का कंपन-सा सालता
त्रिकम्पित मन
बंद नयन से
उन्हें देखता रहा
उनके अंतर्मन की प्रतिध्वनि सुनता रहा॥
1. अनघड़=बेढंगा, बेडौल
2. हिममयूख=बर्फ़ की किरण
3. किरच=नुकीला, छोटी बरछी
4. वैधव्य=विधवापन लिए हुए
5. कोटर=पेड़ का खोखला भाग