प्रेम प्याला पीकर मस्त हुआ हूँ
पवन कुमार ‘मारुत’
(मनहरण कवित्त छन्द)
सौम्य-सी सरल-सी सुन्दर-सी स्वाभाविक-सी,
मधुर मुस्कान मुख-मण्डल पे सजी है।
सरिता-सी स्वच्छ समन्दर-सी सहनशील,
गंभीर गहन गंगा-सी सरस सजी है।
सजनी सुहावनी सुबह-सी सुखदायक,
सहचरी सावन की कोकिला-सी सजी है।
प्रेम पूरित प्राणप्यारी प्रेमिका पवन की,
“मारुत” मन मंदिर में मूरत सजी है॥
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