तुम्हारे जैसा कोई नहीं

15-05-2025

तुम्हारे जैसा कोई नहीं

पवन कुमार ‘मारुत’ (अंक: 277, मई द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

(मनहरण कवित्त छन्द) 
 
भरोसेमन्द भाई-भाई भला भव भीतर, 
भाई-भाई का कंधा-कवच कहलाता है। 
सच्चा साथी सहारा भ्राता-भ्राता का कवि कहे, 
भैया भगवान भुवन का कहलाता है। 
दुनिया देती ज़हरीला जख़्म जो जहान में, 
मरज़ में मलहम माँ-जाया लगाता है। 
“मारुत” मत मानो मत रखो रंजिश रार, 
सहोदर संजीवनी बूटी बन जाता है॥

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