प्रियंका सौरभ
जन्म वर्ष: 1992,
सम्प्रति: दैनिक संपादकीय लेखक, वरिष्ठ सहायक, पीजीटी व्याख्याता, हरियाणा सरकार और शिक्षण।
लेखन भाषा: अंग्रेज़ी और हिंदी दोनों भाषाओं में समानांतर लेखन।
प्रकाशनः देश-विदेश के 10 हज़ार से अधिक समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में दैनिक संपादकीय प्रकाशन।
प्रकाशित पुस्तकें:
-
दीमक लगे गुलाब (कविता संग्रह)
-
निर्भया (निबंध संग्रह)
-
परियों से संवाद (बच्चों का कविता संग्रह)
-
फियरलेस (अंग्रेज़ी निबंध संग्रह)
सम्मान और पुरस्कार:
-
आईपीएस मनुमुक्त 'मानव' पुरस्कार, 2020
-
नारी रत्न पुरस्कार, दिल्ली 2021
-
हरियाणा की शक्तिशाली महिला पुरस्कार, दैनिक भास्कर समूह, 2022
-
जिला प्रशासन भिवानी द्वारा 2022 में पुरस्कृत
-
यूके, फिलीपींस और बांग्लादेश से डॉक्टरेट की मानद उपाधि, 2022
लेखक की पुस्तकें
पुस्तक की उपलब्ध समीक्षाएँ (1)
लेखक की कृतियाँ
- कविता
- सांस्कृतिक आलेख
-
- जीवन की ख़ुशहाली और अखंड सुहाग का पर्व ‘गणगौर’
- दीयों से मने दीवाली, मिट्टी के दीये जलाएँ
- नीरस होती, होली की मस्ती, रंग-गुलाल लगाया और हो गई होली
- फीके पड़ते होली के रंग
- भाई-बहन के प्यार, जुड़ाव और एकजुटता का त्यौहार भाई दूज
- रहस्यवादी कवि, समाज सुधारक और आध्यात्मिक गुरु थे संत रविदास
- समझिये धागों से बँधे ‘रक्षा बंधन’ के मायने
- सौंदर्य और प्रेम का उत्सव है हरियाली तीज
- हनुमान जी—साहस, शौर्य और समर्पण के प्रतीक
- स्वास्थ्य
- काम की बात
- सामाजिक आलेख
-
- अयोध्या का ‘नया अध्याय’: आस्था का संगीत, इतिहास का दर्पण
- क्या 'द कश्मीर फ़ाइल्स' से बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के चश्मे को उतार पाएँगे?
- क्यों नहीं बदल रही भारत में बेटियों की स्थिति?
- खिलौनों की दुनिया के वो मिट्टी के घर याद आते हैं
- खुलने लगे स्कूल, हो न जाये भूल
- जलते हैं केवल पुतले, रावण बढ़ते जा रहे?
- जातिवाद का मटका कब फूटकर बिखरेगा?
- टूट रहे परिवार हैं, बदल रहे मनभाव
- दिवाली का बदला स्वरूप
- दफ़्तरों के इर्द-गिर्द ख़ुशियाँ टटोलते पति-पत्नी
- नया साल, नई उम्मीदें, नए सपने, नए लक्ष्य!
- नौ दिन कन्या पूजकर, सब जाते हैं भूल
- पुरस्कारों का बढ़ता बाज़ार
- पृथ्वी की रक्षा एक दिवास्वप्न नहीं बल्कि एक वास्तविकता होनी चाहिए
- पृथ्वी हर आदमी की ज़रूरत को पूरा कर सकती है, लालच को नहीं
- बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाने की ज़रूरत
- महिलाओं की श्रम-शक्ति भागीदारी में बाधाएँ
- मातृत्व की कला बच्चों को जीने की कला सिखाना है
- वायु प्रदूषण से लड़खड़ाता स्वास्थ्य
- समय न ठहरा है कभी, रुके न इसके पाँव . . .
- स्वार्थों के लिए मनुवाद का राग
- ऐतिहासिक
- कार्यक्रम रिपोर्ट
- दोहे
- चिन्तन
- विडियो
-
- ऑडियो
-