डाल सब्र के बीज

15-05-2025

डाल सब्र के बीज

डॉ. सत्यवान सौरभ (अंक: 277, मई द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

सूना जब आँगन लगे, बने न कोई बात। 
सब्र रखो उस वक़्त में, वही बने सौग़ात॥
 
धन वैभव जब पास हो, ना कर तू अभिमान। 
क़द्र करो उस दान की, जिसने किया प्रदान॥
 
राह कठिन जब सामने, मन में ना हो रोष। 
सब्र रखो उस वक़्त में, मिल जाए संतोष॥
 
बदले जब तक वक़्त ना, ना हारो विश्वास। 
सब्र करो, फिर आएगा, ख़ुशियों का मधुमास॥
 
अँधियारों में जो जले, सौरभ सच्चा दीप। 
सब्र उसी का नाम है, भरता ख़ाली सीप॥
 
फल की ना कर आस तू, कर कर्मों पर ग़ौर। 
सब्र रखे जो वक़्त में, मिलता उसको और॥
 
हर सुख-दुख का मेल है, जीवन एक किताब। 
सब्र क़द्र जो सीख ले, सच में बदले ख़्वाब॥
 
रूठे जब हालात हों, ना हो मन उदास। 
सब्र करे जो नेक दिल, पाए ख़ूब सुवास॥
 
सुख आए झुक के रहे, ना कर तू अभिमान। 
बिना क़द्र उपहार सब, खो देते नादान॥
 
सूखे मन के खेत में, डाल सब्र के बीज। 
फल फलते हैं धैर्य से, काम न आये खीज॥
 
मिले अगर कुछ वक़्त से, ना कर गर्व अपार। 
क़द्र करे जो काल की, सजे उसका संसार॥
 
धूप सहे जो शांत मन, पाते वही छाँव। 
सब्र रखे तो ना कभी, डगमें उसके पाँव॥
 
चमकेगा वह चाँद भी, जो सहे अंधियार। 
सब्र करे जो रैन में, उजियारा हो यार॥
 
दुःख-दाह से भाग मत, धीरज धर मन मान। 
सब्र सुरा सम जगत में, पी ले साजन जान॥
 
सौरभ विपदा घोर में, रहे विनीत विचार। 
मौन रहें कर काल पर, ब्रह्मास्त्र ज्यों प्रहार॥
 
श्वास-श्वास में साधना, कर्म बना अनुराग। 
सब्र-धर्म से खिल उठे, जीवन बने सुहाग॥
 
संकट हो या सुख मिले, रखे एक-सा भाव। 
क़द्र सब्र संग जो चले, डूबे ना वह नाव॥
 
प्रीति बिना ना सार है, ना धन, ना दरबार। 
सब्र बिना जो जीव है, उसका जीवन भार॥
 
सदा समय सौग़ात की, क़द्र करो हर भाव। 
वरना जीवन शेष में, रह जाए पछताव॥

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