जाने के साथ मेरे, पतझर चला जाएगा
ख़ामोशी का आलम, मंज़र चला जाएगा
नासमझी के और न, फेंको पत्थर इधर-उधर
छुट के तेरे हाथ कभी गुहर चला जाएगा
माँग अंगूठे की करते समय न सोचा होगा
एक ग़रीब का सरमाया , हुनर चला जाएगा
मेरे हक़ में ये कौन, गवाही देने आया
सुन के ज़माने की बातें, मुकर चला जाएगा
रौनक़ महफ़िल की देख न ठहरा जाए हमसे
सदमों में ये दिल आप उठ कर चला जाएगा
शायद मै सीख लूँ, जीना तेरे बग़ैर सुशील
तू मेरे राह नहीं कि, मुड़कर चला जाएगा