हाथों में दम-पतवार है साथी
माझी की कब दरकार है साथी
बस एक बिगुल से दौड़े तुम चलना
सीमा की सुनो पुकार है साथी
छलनी-छलनी कश्मीर का सीना
घायल- मज़हब, व्यवहार है साथी
है अपनी जमा पूँजी बस इतनी
साबुत साँझी-दीवार है साथी
उनसे मेरी अब निभेगी कैसे
मेरी-उनकी तकरार है साथी
हाशिये में बहुत आम हैं ख़बरें
सफ़ा-सफ़ा तो इश्तिहार है साथी
बैद- हकीम बैगा-गुनिया देखे
मुल्क अब तलक बीमार है साथी
देशद्रोह का इल्ज़ाम है उनपर
मासूम कहीं गिरफ़्तार है साथी
राम-राज लाने विदेश निकलती
अजीब अपनी सरकार है साथी