शुभकामनाएँ

01-08-2021

शुभकामनाएँ

महेश रौतेला (अंक: 186, अगस्त प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

दूर से शुभकामनाएँ आती हैं
कुछ ठिठुर-ठिठुर कर,
कुछ हँसते, कुछ इठलाते
कुछ मुस्कुरा कर थपथपा जाती हैं।
 
उतनी दूर से
बधाई आती है,
जगमगाती, टिमटिमाती,
शीतल चाँदनी सी फैली,
गुनगुनी धूप सी बिछी,
जो मुझे प्यार के मोड़ पर खड़ा कर जाती है।
 
शुभकामनाएँ आती हैं
चलकर नहीं, उड़कर,
चमकती हैं, बरसती हैं
जैसे दूर कहीं वर्षा होती है,
मन के पास ठहर
उसे हरा-भरा कर जाती हैं।

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