मैं समय से कह आया हूँ
अपनी महिमा अक्षुण्ण रखना,
प्यार के अद्भुत गीतों को तू
स्वयं से आगे कर देना,
भिक्षुक जैसा जो बन जाये
उसकी लाठी तू बन जाना,
ख़ुशबू वाले फूल खिलाना
गंगा जैसी नदी बनाना,
हिमगिरी जैसा पर्वत लेकर
भारत जैसा देश बनाना,
आसमान पर तारे रखना
धरती को धसने न देना।
मैं समय से कह आया हूँ
मनुष्य को आलोक दिखा दे
आखेटक की भूमिका भुला दे,
धर्म कहीं पर रख दे ऐसा
कि शीश वहीं झुक जाये सबका।