कभी प्यार में तुम आओ तो
मैं राह तुम्हारी बन जाऊँ,
कभी प्यार से तुम देखो तो
मैं शब्द तुम्हारे बन जाऊँ।
जंगल मुझमें उग आये तो
फूल वहीं तुम बन जाना,
छाया मेरी टूटे तो
पत्ते बन कर आ जाना।
जहाँ देखा था मैंने तुमको
उस भूमि को हाथ लगाना,
जहाँ बोला था सच अनोखा
उस मिट्टी पर पेड़ लगाना।
दुख से रँगी है यह दुनिया
सुख की धारा अविरल है,
कह देना उत्सव में हम हैं
इस दुनिया में बहुत गरल है।
बहुत सुंदर रचना