दुनिया से  जाते समय

15-12-2020

दुनिया से  जाते समय

महेश रौतेला (अंक: 171, दिसंबर द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

दुनिया से जाने का समय
अकेला और एकान्त होता है,
बहुत कुछ बोल चुका मनुष्य
कुछ बोलना नहीं चाहता है।
 
वह एक गुनमुने शब्द को तरस जाता है
एक सरल शब्द पर रुक जाता है,
अपने शब्दों को
निर्जीव कर देता है।
 
दुनिया से  जाते समय
सभी आन्दोलन थम जाते हैं,
लार टपकाती जिह्वा
ठंडी पड़ जाती है।
 
हमारा कहा गया
कोई और कहने लगता है,
हमारा जिया गया
कोई और जीने लगता है।

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